Budget 2023: करीब छह महीने पहले से हो जाती है बजट तैयार करने की प्रक्रिया, जानिए क्या होता है पूरा प्रोसेस
बजट कोई मामूली चीज नहीं है, नए फाइनेंशियल ईयर के लिए इसमें पूरे देश का लेखा जोखा पेश किया जाता है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी होती हैं. इसे तैयार करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. यहां जानिए कैसे तैयार किया जाता है देश का बजट.
करीब छह महीने पहले से हो जाती है बजट तैयार करने की प्रक्रिया, जानिए क्या होता है पूरा प्रोसेस
करीब छह महीने पहले से हो जाती है बजट तैयार करने की प्रक्रिया, जानिए क्या होता है पूरा प्रोसेस
Union Budget: केंद्रीय बजट का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) बजट पेश करेंगी. बजट से एक दिन पहले यानी आज 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर इस बात का अंदाजा लग जाता है कि आने वाले समय में क्या महंगा होगा और क्या सस्ता हो सकता है क्योंकि इसमें बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा होता है. इसके अगले दिन केंद्रीय बजट पेश किया जाता है.
बजट कोई मामूली चीज नहीं है, नए फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) के लिए इसमें पूरे देश का लेखा जोखा पेश किया जाता है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी होती हैं. बजट को तैयार करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और करीब छह महीने पहले से तैयार किया जाता है. अगस्त से सितंबर के बीच इसे तैयार करने की प्रोसेस शुरू हो जाती है. बजट को वित्त मंत्रालय ही नहीं बल्कि नीति आयोग और दूसरे संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से तैयार किया जाता है. यहां जानिए बजट को तैयार करने का पूरा प्रोसेस.
कैसे तैयार किया जाता है बजट
- बजट को तैयार करने से पहले सबसे पहले सर्कुलर जारी किया जाता है. इस सर्कुलर के जरिए वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को आने वाले साल के लिए एक अनुमान तैयार करने को कहता है. इसके अलावा इस सर्कुलर में अन्य जरूरी दिशा निर्देश होते हैं.
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- वित्त मंत्रालय से सर्कुलर मिलने के साथ ही तमाम मंत्रालय खर्च का अनुमान लगाना शुरू कर देते हैं. खर्च के अनुमान का अंदाजा लगाया जाता है. कहां से कितना राजस्व सरकार के खजाने में आने वाला है, टैक्स रेवेन्यू के जरिए प्राप्त होने वाली राशि का अनुमान लगाया जाता है.
- इसके बाद सभी कागजातों की जांच की जाती है और इस पर परामर्श करने के बाद डेटा वित्त मंत्रालय में भेजा जाता है. फिर वित्त मंत्रालय, सभी सिफारिशों पर विचार करने के बाद, अलग-अलग विभागों को उनके भविष्य में होने वाले खर्चों को देखते हुए राजस्व बांटता है.
- इसके बाद आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग किसानों, व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी संस्थानों के संपर्क में आते हैं और उनसे बजट को लेकर उनका नजरिया जानते हैं. इसे प्री बजट डिस्कशन कहा जाता है.
- इस डिस्कशन के बाद वित्त मंत्री अंतिम मांगों पर निर्णय लेते हैं और इसे अंतिम रूप देने से पहले इसकी चर्चा प्रधानमंत्री से भी की जाती है और उन्हें अगले फैसलों के बारे में अवगत कराया जाता है. इसके बाद वित्त मंत्रालय बजट तय करने से जुड़े सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें हासिल करता है और अगले साल की अनुमानित कमाई और खर्चों की योजना तैयार होती है.
- इसके बाद सरकार बजट को अंतिम रूप देने के लिए एक बार फिर राज्यों, बैंकरों, कृषि क्षेत्र के लोगों, अर्थशास्त्रियों और व्यापार संघों के साथ बैठक करती है. आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करता है.
- इसके बाद वित्त मंत्री की ओर से हलवा सेरेमनी की जाती है जो इस बात का प्रतीक है कि बजट को आखिरी रूप दिया जा चुका है. हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई का काम शुरू हो जाता है. 1 फरवरी को बजट को वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है.
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12:04 PM IST